दीवाली क्यों मनाई जाती है? Why Do We Celebrate Diwali in Hindi

 हेलो दोस्तों! 

जानिए दीवाली क्यों मनाई जाती है – पूरी कहानी, धार्मिक महत्व, परंपराएँ और रोशनी के इस पर्व के तथ्य। Diwali 2025 की पूरी जानकारी हिंदी में।

आज मैं आपको बताने वाला हूँ कि दीवाली क्यों मनाई जाती है, इसका क्या कारण है, और दीवाली में क्या-क्या होता है।
दीवाली का यह पर्व न सिर्फ रोशनी का त्योहार है, बल्कि अंधकार पर उजाले की विजय और बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक भी है।
तो आइए, शुरू करते हैं इस रोशनी भरे त्यौहार की पूरी कहानी।

दीवाली क्यों मनाई जाती है? Why Do We Celebrate Diwali in Hindi

दीवाली क्यों मनाई जाती है?
यह सवाल हर साल लाखों लोगों के मन में उमड़ता है, खासकर जब त्योहारों का मौसम आता है। दीवाली, जिसे दीपावली भी कहा जाता है, भारत का सबसे बड़ा और सबसे चमकदार त्योहार है। यह केवल रोशनी का उत्सव नहीं, बल्कि बुराई पर अच्छाई की जीत, अंधेरे पर उजाले की विजय और समृद्धि का प्रतीक है। लेकिन दीवाली क्यों मनाई जाती है? इसका जवाब सिर्फ एक कहानी में नहीं समेटा जा सकता। यह कई पौराणिक कथाओं, धार्मिक महत्व और सांस्कृतिक परंपराओं का मिश्रण है। इस लेख में हम दीवाली क्यों मनाई जाती है की पूरी कहानी जानेंगे – रामायण की कथा से लेकर कृष्ण की विजय तक, हर पहलू को विस्तार से समझेंगे।
यदि आप दीवाली क्यों मनाई जाती है के बारे में और जानना चाहते हैं, तो यह लेख आपके लिए है। हम यहां मूल कथाओं, रीति-रिवाजों, वैज्ञानिक महत्व, पर्यावरण संरक्षण के टिप्स और आधुनिक संदर्भों पर चर्चा करेंगे। यह सब onlyhindi.com पर आपके लिए तैयार किया गया है, जहां हिंदी में ही सारी जानकारी मिलती है। चलिए, शुरू करते हैं इस रोशनी भरे सफर को।
दीवाली का ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व: क्यों है यह त्योहार इतना खास?दीवाली क्यों मनाई जाती है? इसका मूल आधार हिंदू धर्म की पौराणिक कथाओं में छिपा है। दीवाली कार्तिक मास की अमावस्या को मनाई जाती है, जो चंद्र कैलेंडर के अनुसार आती है। यह तारीख हर साल थोड़ी बदलती रहती है, लेकिन इसका महत्व कभी नहीं बदलता। प्राचीन काल से ही दीवाली को महापर्व कहा जाता है क्योंकि यह कई देवताओं और नायकों की स्मृति में मनाया जाता है।सबसे पहले, समझते हैं कि दीवाली का नाम क्यों पड़ा। "दीवाली" शब्द संस्कृत के "दीपावली" से आया है, जिसका अर्थ है दीपों की अवली या रोशनी की पंक्ति। अमावस्या की काली रात में घर-घर दीप जलाने से अंधकार दूर होता है, जो जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक है। लेकिन दीवाली क्यों मनाई जाती है? इसका सबसे प्रसिद्ध कारण भगवान राम की वापसी है। आइए, इसकी पूरी कहानी सुनें।

भगवान राम की वापसी: रामायण की अमर कथा

रामायण, वाल्मीकि द्वारा रचित महाकाव्य, दीवाली की मूल कहानी का आधार है। दीवाली क्यों मनाई जाती है? इसका सीधा संबंध भगवान राम, सीता और लक्ष्मण के वनवास से है। राजा दशरथ के पुत्र राम को अपने पिता के वचन के कारण 14 वर्ष का वनवास जाना पड़ा। उनके साथ पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण भी गए।

वनवास के दौरान रावण ने सीता का हरण कर लिया। राम ने वानर सेना की मदद से लंका पर चढ़ाई की और रावण का वध किया। यह बुराई पर अच्छाई की जीत थी। ठीक 14 वर्ष बाद, राम अपनी पत्नी और भाई के साथ अयोध्या लौटे। अयोध्या के लोग इतने उत्साहित हुए कि उन्होंने पूरे शहर को दीपों से सजाया। रास्ते भर दीप जलाए गए, फूल बरसाए गए और ढोल-नगाड़े बजाए गए। यह दिन कार्तिक अमावस्या था। तभी से दीवाली क्यों मनाई जाती है? – राम की विजय और वापसी की खुशी में।

लेकिन कहानी यहीं खत्म नहीं होती। राम के लौटने पर अयोध्या में नाईमिषारण्य के ऋषियों ने भी दीप जलाए। यह कथा न सिर्फ धार्मिक है, बल्कि नैतिक शिक्षा भी देती है। राम का त्याग, धैर्य और न्याय का पालन हमें सिखाता है कि सत्य की हमेशा जीत होती है। आज भी, दीवाली पर रामचरितमानस का पाठ किया जाता है। 

रामायण की इस कथा को विस्तार से समझें तो पता चलता है कि वनवास का समय कितना कठिन था। राम ने वन में कई राक्षसों का संहार किया, सुग्रीव से मित्रता की और हनुमान जैसे भक्त प्राप्त किए। रावण वध के बाद विभीषण को राजा बनाया। इन सब घटनाओं ने राम को मर्यादा पुरुषोत्तम बनाया। दीवाली क्यों मनाई जाती है? क्योंकि यह राम के आदर्शों की याद दिलाती है।

भगवान कृष्ण और नरकासुर वध: एक और महत्वपूर्ण कथा

दीवाली क्यों मनाई जाती है? सिर्फ राम की कहानी ही नहीं, बल्कि भगवान कृष्ण की कथा भी जुड़ी है। यह विशेष रूप से गुजरात, महाराष्ट्र और पूर्वोत्तर भारत में प्रचलित है। नरकासुर नामक असुर ने देवताओं और मनुष्यों पर अत्याचार किए। वह कामदेव की 16,000 स्त्रियों को बंदी बना चुका था और स्वर्ग से अधिष्ठित अलंकार भी चुरा लिए थे।भगवान कृष्ण ने सत्यभामा की सहायता से नरकासुर का वध किया। यह विजय अमावस्या के दिन हुई। नरकासुर के वध के बाद कृष्ण ने उन बंदी महिलाओं को मुक्त किया और उनके सम्मान की रक्षा की। तभी से दीवाली को नरक नाशन दीवाली भी कहा जाता है। लोग सुबह उठकर उबटन लगाते हैं, जो नरकासुर के अभिमान को मिटाने का प्रतीक है।इस कथा का महत्व क्या है? नरकासुर अंधेरे और पाप का प्रतीक था। कृष्ण की विजय हमें बताती है कि दैवीय शक्ति से हर बुराई का अंत होता है। आज के संदर्भ में, यह आत्म-शुद्धि का संदेश देती है। दीवाली क्यों मनाई जाती है? क्योंकि यह हमें अपने अंदर के नरकासुर को हराने की प्रेरणा देती है।
कथा को और विस्तार दें तो नरकासुर इंद्र की पुत्री भूदेवी का पुत्र था, लेकिन वह राक्षसी प्रवृत्ति का हो गया। कृष्ण ने गदा से उसका संहार किया और उसके किले पर विजय प्राप्त की। यह घटना महाभारत काल से जुड़ी है। दीवाली पर कृष्ण की पूजा भी की जाती है, खासकर दक्षिण भारत में।
माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु: धन-धान्य की देवी का आगमन

दीवाली क्यों मनाई जाती है? एक और कथा विष्णु और लक्ष्मी से जुड़ी है। समुद्र मंथन के बाद देवी लक्ष्मी का जन्म हुआ। विष्णु ने उन्हें पत्नी रूप में स्वीकार किया। दीवाली पर लक्ष्मी पूजन का महत्व इसलिए है क्योंकि अमावस्या की रात को देवी लक्ष्मी भटकती हैं और साफ-सुथरे घरों में प्रवेश करती हैं।कहा जाता है कि जो घर स्वच्छ हो, जहां दीप जलें और पूजा हो, वहां लक्ष्मी वास करती हैं। यह कथा हमें सफाई और समृद्धि का संदेश देती है। दीवाली क्यों मनाई जाती है? धन की देवी के आगमन की खुशी में। लक्ष्मी पूजन के बिना दीवाली अधूरी है।विस्तार से देखें तो विष्णु ने वामन अवतार में राजा बलि से तीन पग भूमि मांगी और उसे पाताल भेज दिया। लेकिन बलि की भक्ति से प्रसन्न होकर विष्णु ने दीवाली पर उसके दरवाजे पर दीप जलाने का वरदान दिया। यह बलि राजा दीवाली के रूप में मनाई जाती है।
अन्य क्षेत्रीय कथाएं: दीवाली का विविध स्वरूप

भारत विविधताओं का देश है, इसलिए दीवाली क्यों मनाई जाती है? की कथा हर क्षेत्र में थोड़ी अलग है।
बंगाल में काली पूजा: यहां दीवाली को काली पूजा के रूप में मनाया जाता है। काली मां अंधकार का नाश करती हैं।
तमिलनाडु में नरकासुर: यहां कृष्ण की कथा प्रमुख है, और सुबह स्नान के बाद पटाखे फोड़े जाते हैं।
पंजाब में बंदी छोड़: सिखों के लिए यह गुरु हरगोबिंद जी की रिहाई की याद है, जब उन्होंने 52 राजकुमारों को मुक्त कराया।
जैन धर्म में महावीर निर्वाण: जैन दीवाली महावीर के मोक्ष दिवस पर मनाते हैं।


दीवाली के रीति-रिवाज: कैसे मनाएं यह त्योहार?

दीवाली क्यों मनाई जाती है? सिर्फ कथाओं के कारण ही नहीं, बल्कि इसके रीति-रिवाजों से जीवन में खुशी आती है। पांच दिनों का यह उत्सव धनतेरस से शुरू होता है।

धनतेरस: स्वास्थ्य और धन का प्रारंभ
धनतेरस पर लक्ष्मी और धन्वंतरि की पूजा की जाती है। लोग सोना-चांदी खरीदते हैं। यह दिन चिकित्सा के देवता धन्वंतरि के जन्म का है। दीवाली क्यों मनाई जाती है? समृद्धि की शुरुआत इसी से होती है।
नरक चतुर्दशी: अंधकार का नाश

सुबह उबटन और तेल स्नान। यह नरकासुर की याद में।

अमावस्या: मुख्य दीवाली

रात को लक्ष्मी-गणेश पूजन, दीप प्रज्वलन, पटाखे। घर साफ करना अनिवार्य।

गोवर्धन पूजा: पर्यावरण संरक्षण

कृष्ण द्वारा गोवर्धन पर्वत उठाने की कथा। अन्नकूट बनाते हैं।

भाई दूज: भाई-बहन का प्रेम

यमराज की बहन यमुना की कथा। बहनें भाइयों को तिलक लगाती हैं।ये रीति-रिवाज न सिर्फ धार्मिक हैं, बल्कि सामाजिक एकता बढ़ाते हैं।
दीवाली का वैज्ञानिक और पर्यावरणीय महत्व

दीवाली क्यों मनाई जाती है? वैज्ञानिक दृष्टि से, दीप जलाना विटामिन डी बढ़ाता है। पटाखों से डरने वाले जानवरों के लिए शोर कम करें। पर्यावरण के लिए, ग्रीन दीवाली अपनाएं – LED दीप, प्राकृतिक रंग।
पटाखों के धुएं से प्रदूषण बढ़ता है, इसलिए कम फोड़ें। यह त्योहार हमें प्रकृति से जुड़ने की याद दिलाता है।
दीवाली में खान-पान: स्वादिष्ट व्यंजन

दीवाली के बिना मिठाई अधूरी। लड्डू, बर्फी, करंजी। लेकिन स्वस्थ रहें – कम चीनी। रेसिपीज:
मोती चूर लड्डू: बेसन, चीनी, घी।
गुजराती घेवर: मैदा, दूध।
ये व्यंजन खुशी दोगुनी करते हैं।
आधुनिक दीवाली: चुनौतियां और समाधान

आजकल शहरीकरण से दीवाली व्यस्त हो गई। लेकिन दीवाली क्यों मनाई जाती है? मूल भावना न भूलें। ऑनलाइन शॉपिंग, वर्चुअल पूजा – सब ठीक, लेकिन परिवार साथ हो।

निष्कर्ष: दीवाली की रोशनी हमेशा जलती रहे

दीवाली क्यों मनाई जाती है? यह बुराई पर अच्छाई, गरीबी पर समृद्धि की जीत है। इस त्योहार से जीवन उज्ज्वल बने। onlyhindi.com पर ऐसी और कहानियां पढ़ें।




🪔 दीवाली से जुड़े सबसे लोकप्रिय सवाल (FAQ)

यहाँ हमने आपके लिए दीवाली से जुड़े कुछ आम सवालों के जवाब दिए हैं — जो हर किसी के मन में आते हैं।

1. दीवाली क्यों मनाई जाती है?

दीवाली भगवान श्रीराम की अयोध्या वापसी और बुराई पर अच्छाई की जीत के उपलक्ष्य में मनाई जाती है। यह रोशनी और खुशहाली का पर्व है।

2. दीवाली कितने दिन तक मनाई जाती है?

दीवाली पाँच दिनों तक मनाई जाती है — धनतेरस, छोटी दीवाली, मुख्य दीवाली, गोवर्धन पूजा और भाई दूज।

3. दीवाली का असली अर्थ क्या है?

‘दीवाली’ संस्कृत के शब्द ‘दीपावली’ से बना है, जिसका अर्थ है दीपों की पंक्ति यानी रोशनी की श्रृंखला।

4. दीवाली पर कौन-सी पूजा की जाती है?

दीवाली की रात माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा की जाती है, ताकि घर में धन, सुख और समृद्धि बनी रहे।

5. दीवाली के दिन क्या करना शुभ होता है?

दीप जलाना, घर की सफाई करना, मिठाइयाँ बाँटना, गरीबों की मदद करना और लक्ष्मी पूजा करना बहुत शुभ माना जाता है।

6. दीवाली में कौन-सी मिठाई सबसे लोकप्रिय है?

दीवाली पर लड्डू, बर्फी, गुजिया और मोतीचूर के लड्डू सबसे लोकप्रिय मिठाइयाँ मानी जाती हैं।

7. दीवाली कब मनाई जाती है?

दीवाली कार्तिक अमावस्या के दिन मनाई जाती है, जो हर साल अक्टूबर या नवंबर में आती है।

8. दीवाली का धार्मिक महत्व क्या है?

यह त्योहार अंधकार पर प्रकाश, अज्ञान पर ज्ञान और बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है।

9. क्या दीवाली केवल हिंदू त्योहार है?

नहीं, दीवाली जैन धर्म में भगवान महावीर के निर्वाण दिवस और सिख धर्म में ‘बंदी छोड़ दिवस’ के रूप में भी मनाई जाती है।

10. दीवाली पर क्या सावधानियाँ रखनी चाहिए?

पटाखे कम फोड़ें, बच्चों और जानवरों की सुरक्षा का ध्यान रखें, और पर्यावरण के लिए ग्रीन दीवाली मनाएँ।

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